बैरिया,बलिया। क्षेत्र में गंगा का रौद्र रूप के साथ अचानक हो रहे पानी बढ़ाव से दुबे छपरा सहित आधा दर्जन गांवों में पानी भर गया है। इससे बाढ़ प्रभावित गांवो के लोगो का घर छोड़ जरूरी सामान निकालकर बंधो व अन्य सुरक्षित जगहों पर जाने को विवश है। गांवों में गंगा का पानी गांव के चौतरफा अचानक फैलने से अफरा तफरी का माहौल बना हुआ है। पूर्वांचल में गंगा नदी के जलस्तर में तेजी से हाे रहे बढ़ोतरी का का असर बलिया जिले के कई हिस्से में देखने को मिल रहा है। शनिवार को बैरिया का दुबे छपरा के कॉलेज व स्कूल में पानी घुस गया। इसके अलावा गोपालपुर इलाके में गंगा नदी का रौद्र रूप के कारण लोगों की चिंता बढ़ गई है । प्रभावित इलाके के लोग पलायन करने को मजबूर हैं।
बलिया का बैरिया विधान सभा आजादी से लेकर आज तक राजनीति में सबसे ज्यादा बढ चढकर हिस्सा लेता रहा हैं लेकिन विकास के मामले में देश की आजादी से लेकर अब तक उपेक्षा का शिकार होता चला आ रहा हैं। जबकि यहां के स्थानीय जनप्रतिनियों द्वारा सिर्फ चुनावी मंच पर विकास की गंगा बहाना व तमाम योजनाओं का गाथा गिनवाकर जनता से ताली तो पिटवा लेते है लेकिन द्वाबा क्षेत्र की जनता जो प्रत्येक वर्ष गंगा और घाघरा नदियों में बाढ की विभिषिका से पलायन को नही रोक पाये है।
दुबे छपरा रिग बांध को पिछले साल ही करोड़ों खर्च कर रिपेयर किया गया था। शुक्रवार को सुबह ही गंगा में बाढ़ के रौद्र रूप लेने व गांवो में गंगा के पानी के घुसने की सूचना मिलने के बाद जिला अधिकारी अदिति सिंह पूरे लॉव लश्कर के साथ निरीक्षण करने पहुंची भी थी। उन्होंने मातहतों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिया था कि किसी भी परिस्थिति में जान माल का नुकसान न हो। पानी से घिरे गांव के लोगो को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया जाय। परंतु यह आखिर कब तक पलायन का सिलसिला जारी रहेगा। क्या कटान क्षेत्र के लोगो को इससे कभी स्थाई तौर पर निजात भी मिल पायेगा या नही? यह यक्ष प्रश्न बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हर किसी के आँखों में साफ दिख रहा है। आखिर कब तक?