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अब देना होगा पानी के हर बूंद का हिसाब

बलिया।जिले में अब कोई भी नई बोरिंग बिना पंजीकरण और एनओसी के नहीं हो सकेगी। उद्योगों एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को उनके यहां इस्तेमाल होने वाले पानी का पूरा हिसाब देना होगा। कोई भी औद्योगिक इकाई, व्यावसायिक प्रतिष्ठान या डिब्बा बंद पानी की आपूर्ति करने वाली संस्था को खर्च किए गए जल के हिसाब से कीमत चुकानी पड़ेगी।
जिले में पूर्व से संचालित कूपों के पंजीकरण व सत्यापन के लिए जिलाधिकारी ने चार सदस्यीय कमेटी भी गठित कर दी है। इसमें लघु सिंचाई विभाग के एई, एक्सईएन जल निगम, एक्सईएन सिंचाई और संबंधित ब्लॉक के बीडीओ होंगे। प्रदेश में जलस्तर गिरावट के मद्देनजर सरकार ने भूगर्भ जल अधिनियम को तैयार किया है। इसके तहत भूगर्भ जल का व्यावसायिक इस्तेमाल करने वाले सभी प्रतिष्ठानों या संस्थानों को खपत किए गए भूगर्भ जल के अनुसार वार्षिक भुगतान करना होगा। इसके अलावा सभी प्रतिष्ठानों और संस्थानों को न सिर्फ रजिस्ट्रेशन कराना होगा, बल्कि विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र भी लेना होगा। इसके तहत स्कूल, कॉलेज, होटल, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी रजिस्ट्रेशन कराने के अलावा अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होगा। विभागीय अधिकारी की माने तो जांच में एनओसी नहीं मिलने पर उनके संचालक पर जुर्माना व एक साल तक का कैद भी हो सकता है। भूगर्भ जलस्तर के अनुसार, वाणिज्यिक और औद्योगिक एवं सामूहिक जल उपभोक्ता को दो अलग श्रेणी में बांटते हुए क्षेत्र के हिसाब से शुल्क निर्धारित किया गया है। भूगर्भ जलस्तर श्रेणी, सेमी क्रिटिकल, क्रिटिकल के अलावा अति दोहित यानी शहरी क्षेत्र के लिए अलग-अलग श्रेणी में वार्षिक शुल्क तय किया गया है। भूगर्भ जलस्तर की श्रेणी के हिसाब से प्रतिदिन 500 घन मीटर, 500 से 1000 घनमीटर, 1000 से 5000 घनमीटर और 5000 घनमीटर रोजाना के हिसाब से शुल्क तय है।

यह है निर्धारित शुल्क
घरेलू और कृषि भूगर्भ जल उपभोक्ता : शून्य
वाणिज्यिक भूगर्भ जल उपभोक्ता 90 पैसे से 1.50 रुपये प्रति घन मीटर रोजाना
औद्योगिक एवं सामूहिक भूगर्भ जल उपभोक्ता 70 पैसे से 1.30 रुपये प्रति घन मीटर रोजाना
ठेकेदार और टेक्नीशियन को भी लेना होगा एनओसी
बलिया। बोरिंग कार्य करने वालों को भी शामिल किया गया है। अब कहीं भी बोरिंग करने के लिए इन्हें भी निर्धारित साइट पर पंजीकरण कराकर जिला प्रशासन से एनओसी लेनी होगी। अगर बिना एनओसी के कहीं भी बोरिंग करते मिले तो इनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। पूर्व से संचालित और नई बोरिंग के लिए लोगों को अब सबसे पहले upgwd वेबसाइट पर पंजीकरण करना होगा। इसके बाद यह आवेदन संबंधित विभाग के पास जाएगा, जहां से सत्यापन के बाद जिला प्रशासन की ओर से एनओसी जारी की जाएगी।
अब सभी कूपों का पंजीकरण और एनओसी लेना अनिवार्य कर दिया गया है। सभी वाणिज्यिक, औद्योगिक और सामूहिक भूगर्भ जल उपभोक्ताओं को रजिस्ट्रेशन के लिए पांच हजार रुपये और अनापत्ति प्रमाणपत्र के लिए भी पांच हजार रुपये शुल्क की रसीद कटानी होगी। इसके बाद खपत के हिसाब से वार्षिक शुल्क अदा करना होगा। घरेलू और कृषि भूगर्भ जल उपभोक्ता को किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं देना है। जिले के उद्यमियों को इस संबंध में नोटिस भेजा जाने लगा है। जिलाधिकारी की ओर से इसकी मॉनिटरिंग को कमेटी बनाई गई है। – श्याम सुंदर यादव, प्रभारी अधिकारी, भूगर्भ जल विभाग

Dainik Anmol News Team