बैरिया बलिया। गंगा नदी नौरंगा पर बना पीपापुल से यात्रा करना जान को जोखिम में डालना हैै। लोग इस पीप पुल पर चढ़ने से पहले हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू करते है और तब तक पढ़ते रहते हैं जब तक पीपा पुल से नीचे नही उतर जाते। पीपा पुल पर लगाये गए गाटर व लकड़िया व लोहे की प्लेट सबकुछ उलट पलट गया है। जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ गयी है। लोग जान को जोखिम में डालकर पुल से आ-जा रहे है। बावजूद इसके प्रशासन व सम्बंधित विभाग इस समस्या को निस्तारित करने के प्रति गंभीर नही हैं।
अक्टूबर माह में बनने वाला पीपा का पुल घोर लापरवाही के चलते फरवरी के अंत में किसी तरह आनन-फानन में चालू हुआ, पर कभी भी सुचारू रूप से ग्रामीणों को सेवा नहीं दे पाया। कभी नोज टूटा तो कभी मिट्टी बह गई। अबकी बार नौरंगा तरफ से पीपा ही धंस गया है, जिससे साइकिल, बाइक, जीप आदि से यात्रा करना खतरा बढ़ा रहा है। आयेदिन इस पीपा पुल पर छोटी मोटी दुर्घटनायें होना आम बात हो गया है।
यात्री किसी तरह जान जोखिम में डालकर पैदल जैसे तैसे टूटे रास्ते से आवागमन कर रहे हैं, जो कभी भी दुर्घटना का सबब बन सकता है। पीपा पुल पर तैनात कर्मचारियों का कहना है कि इस पुल की सरकारी मियाद गुरुवार को खत्म हो गयी। अब इसे बनाने का कोई औचित्य नही है।