बैरिया से शशि कुमार सिंह
बैरिया। उत्तर प्रदेश का पूर्वी अंतिम छोर जहां से प्रदेश में सूर्य का प्रकाश निकलता है। उस क्षेत्र में इस बार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव सत्ता रुढ पार्टी भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं दिए। राजनितिक जानकारों की मानें तो इस परिणाम की गुंज आने वाले विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकते है।
बता दें कि सबसे पूर्वी छोर पर स्थित बैरिया विधानसभा में कुल नौ जिला पंचायत सदस्य आते हैं। जिसमें से सिर्फ विकास खंड बैरिया के एक वार्ड में ही सत्तासीन पार्टी भाजपा जीत दर्ज कर पाई है। शेष सभी वार्डों में या तो समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की है अथवा निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज किया है। और तो और विकास खंड मुरली छपरा की तीनों सदस्य पद समाजवादी पार्टी के खाता में चली गयी। अब इसको भाजपा की अंदरूनी कलह कहा जाय या राज नेताओ का अपने क्षेत्र में निष्क्रिय रहना दोनों ही कहा जा सकता है। भाजपा के टिकट बंटवारा के समय ही अंदरूनी कलह खुलकर सामने आई। भाजपा के वर्षो पुराने व सक्रिय कार्यकर्ताओ का कहना था कि टिकट बंटवारा से पूर्व जिला पंचायत के दावेदार प्रत्याशियो के सम्बन्ध में स्थलीय जांच निहायत जरूरी था। परंतु ऊपर से पार्टी कैडर को दरकिनार कर मनमानी तरीके से टिकट का बंटवारा किया गया। टिकट घोषित किये जाने के बाद से ही पार्टी में विरोध का स्वर उठने लगा। ऐसे में चुनाव पूर्व ही कयास लगाये जाने लगा कि भाजपा के बागी उम्मीदवार भाजपा की लुटिया डुबाने के लिये काफी है। लोगो का कहना है कि सांसद विधायक के आपसी रार ने भाजपा के कैडरों को पशोपेश में डाल रखा है। उनका कहना है कि आखिर खुलकर कैसे किस प्रत्याशी का प्रचार किया जाय। जहां एक तरफ भाजपा के उम्मीदवारों के साथ सांसद समर्थक लगे थे तो दूसरी तरफ भाजपा के बागी उम्मीदवार के साथ क्षेत्रीय विधायक स्वयं खुलकर प्रचार कर रहे थे।